डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति: भारत और दुनिया पर क्या होगा असर?
Donald Trump's tariff policy: What will be the impact on India and the world?
3 अप्रैल, 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपनी नई टैरिफ नीति का ऐलान किया है, जिसने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने कहा है कि वे अमेरिका में आने वाले सभी आयातित सामानों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाएंगे और कुछ बड़े व्यापारिक साझेदार देशों पर इससे भी ज्यादा शुल्क लगाया जाएगा। इस नीति का मकसद अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना है, लेकिन इसके प्रभाव को लेकर भारत सहित कई देशों में चिंता बढ़ गई है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं कि यह नीति क्या है, इसका भारत पर क्या असर हो सकता है और दुनिया इसे कैसे देख रही है।
टैरिफ क्या है और ट्रंप इसे क्यों ला रहे हैं?
टैरिफ एक तरह का कर (टैक्स) होता है, जो किसी देश में बाहर से आने वाले सामानों पर लगाया जाता है। मान लीजिए, अगर कोई चीनी कंपनी अमेरिका को 100 रुपये का सामान बेचती है और उस पर 10% टैरिफ लगता है, तो उस सामान की कीमत 110 रुपये हो जाएगी। ट्रंप का कहना है कि कई देश अमेरिकी सामानों पर भारी टैरिफ लगाते हैं, लेकिन अमेरिका ऐसा नहीं करता। इससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होता है। उनकी "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत वे चाहते हैं कि विदेशी सामान महंगा हो जाए, ताकि लोग अमेरिकी सामान खरीदें और स्थानीय उद्योगों को फायदा हो।
ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में भी इस बात का जिक्र किया था। उनका मानना है कि टैरिफ से अमेरिकी सरकार को अरबों डॉलर की कमाई होगी, जिससे टैक्स कम रखा जा सकेगा और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। हाल ही में उन्होंने ऑटोमोबाइल, एल्यूमिनियम और दवाओं जैसे क्षेत्रों पर टैरिफ की घोषणा की है। इसके अलावा, कनाडा और मैक्सिको पर 25% और चीन पर 10% टैरिफ लगाने का फैसला भी लिया गया है।
ट्रम्प ने भारत पर लगाया 26% टैरिफ, व्यापार में नया मोड़
डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह फैसला अमेरिका के राष्ट्रपति ने व्यापार नीति के तहत लिया है। ट्रम्प का कहना है कि भारत अमेरिकी सामानों पर 52 प्रतिशत शुल्क लेता है, जबकि अमेरिका भारत से बहुत कम टैरिफ वसूलता है। इस नए नियम से भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों पर असर पड़ सकता है। ट्रम्प ने इसे "छूट युक्त पारस्परिक शुल्क" नीति का हिस्सा बताया, जिसमें भारत को कुछ राहत दी गई है, लेकिन फिर भी यह कदम चर्चा में बना हुआ है।
भारत पर क्या होगा असर?
भारत अमेरिका का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्तीय वर्ष 2024 में भारत ने अमेरिका को 77.5 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया था। ट्रंप की नई टैरिफ नीति से भारत के कई सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं। खास तौर पर टेक्सटाइल, फार्मा (दवाएं), और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे भारतीय सामानों की मांग कम हो सकती है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत के लिए एक मौका भी हो सकता है। अगर अमेरिका चीन पर भारी टैरिफ लगाता है, तो कई कंपनियां अपने कारोबार को भारत जैसे देशों में शिफ्ट कर सकती हैं। इससे भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर बढ़ सकता है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा है कि भारत को टैरिफ से बहुत ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत कुछ अमेरिकी उत्पादों, जैसे हार्ले-डेविडसन बाइक्स, पर टैरिफ कम करने पर विचार कर सकता है, ताकि अमेरिका के साथ रिश्ते मजबूत रहें।
लेकिन दूसरी तरफ, भारतीय उद्योगपतियों का कहना है कि टैरिफ से उनकी लागत बढ़ेगी। उदाहरण के लिए, अगर अमेरिका में भारतीय स्टील या एल्यूमिनियम महंगा हो जाता है, तो वहां के ग्राहक इसे कम खरीदेंगे। इससे भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता है। साथ ही, अगर अमेरिका भारत पर जवाबी टैरिफ लगाता है, तो भारतीय उपभोक्ताओं को भी अमेरिकी सामान के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है।
दुनिया की प्रतिक्रिया
ट्रंप की टैरिफ नीति का असर सिर्फ भारत पर नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। कनाडा और मैक्सिको जैसे पड़ोसी देशों ने इस फैसले की आलोचना की है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि इससे "ट्रेड वॉर" शुरू हो सकता है और वे इसका जवाब देने के लिए तैयार हैं। चीन ने भी चेतावनी दी है कि वह अमेरिकी सामानों पर और सख्ती कर सकता है। यूरोपीय संघ (EU) ने कहा है कि वह इस नीति पर नजर रखेगा और जरूरत पड़ने पर कदम उठाएगा।
कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि टैरिफ से वैश्विक सप्लाई चेन बिगड़ सकती है। इससे सामानों की कीमतें बढ़ेंगी और आम लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका में भी कुछ लोग ट्रंप के इस कदम से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को नुकसान होगा, क्योंकि विदेशी सामान महंगा हो जाएगा।
पहले क्या हुआ था?
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने टैरिफ की बात की हो। अपने पहले कार्यकाल (2017-2021) में भी उन्होंने स्टील पर 25% और एल्यूमिनियम पर 10% टैरिफ लगाया था। उस समय भारत ने भी इसका जवाब दिया था और अमेरिकी बादाम, सेब और मोटरसाइकिल जैसी चीजों पर शुल्क बढ़ा दिया था। लेकिन लंबे समय में भारत का स्टील निर्यात अमेरिका में बढ़ा, जो दिखाता है कि भारत इस तरह की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।
आगे क्या होगा?
ट्रंप की टैरिफ नीति अभी शुरूआती चरण में है। आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि कौन से देशों पर कितना टैरिफ लगेगा और इसका असर कितना गहरा होगा। भारत के लिए यह जरूरी है कि वह अपनी रणनीति तैयार करे। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करना होगा और नए निर्यात बाजार तलाशने होंगे। साथ ही, अमेरिका के साथ बातचीत करके कुछ क्षेत्रों में राहत पाने की कोशिश करनी होगी।
ट्रंप ने यह भी कहा है कि वे कुछ देशों को टैरिफ में छूट दे सकते हैं, अगर वे अमेरिका के साथ सहयोग करें। भारत के लिए यह एक मौका हो सकता है कि वह अपनी स्थिति मजबूत करे और अमेरिका के साथ बेहतर व्यापारिक रिश्ते बनाए।
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति एक बड़ा कदम है, जो वैश्विक व्यापार को बदल सकता है। भारत के लिए यह चुनौती भी है और अवसर भी। अगर भारत सही रणनीति बनाता है, तो वह इस स्थिति का फायदा उठा सकता है। लेकिन अगर तैयारी नहीं हुई, तो नुकसान भी हो सकता है। आने वाला समय बताएगा कि यह नीति दुनिया को कहां ले जाती है। फिलहाल, सभी की नजरें ट्रंप के अगले कदम पर टिकी हैं।