यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो Phonepe Google pay से पैसे काट लेगा। UPI नियम, बैंक बैलेंस: 1 अप्रैल से लागू हुए ये बड़े बदलाव

 

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UPI नियम, बैंक बैलेंस: 1 अप्रैल से लागू हुए ये बड़े बदलाव, जानें सबकुछ

UPI transaction new rule 2025


1 अप्रैल से कई नए फाइनेंशियल नियम लागू हो गए हैं, जिनका सीधा असर आपके बैंक अकाउंट, UPI लेनदेन और निवेश पर पड़ेगा। अगर आप इन बदलावों से अनजान हैं, तो आपको परेशानी हो सकती है। चलिए जानते हैं कि 1 अप्रैल से क्या-क्या बदल गया है।  


UPI पर नया नियम: अब ₹5000 से ज्यादा के लेनदेन पर ये रूल


NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) ने UPI के लिए एक नया नियम लागू किया है। अगर आप प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (PPI) या वॉलेट (जैसे Paytm Wallet, Amazon Pay, PhonePe Wallet) से ₹5000 से ज्यादा का UPI पेमेंट करते हैं, तो आपको मंथली लिमिट का ध्यान रखना होगा।  


PPI/Wallet से UPI पेमेंट की लिमिट अब ₹5000 प्रति माह तक ही रहेगी।  

अगर आप इससे ज्यादा का ट्रांजैक्शन करना चाहते हैं, तो आपको KYC-verified अकाउंट का इस्तेमाल करना होगा।  

यह नियम सिर्फ PPI/Wallet से UPI पेमेंट पर लागू होता है, नॉर्मल बैंक अकाउंट से UPI पर कोई लिमिट नहीं है।  


क्या करें?

अगर आप ज्यादा बड़े UPI पेमेंट करते हैं, तो PPI वॉलेट की जगह सीधे बैंक अकाउंट से पेमेंट करें।  


बैंक में मिनिमम बैलेंस का नया नियम


कुछ बैंकों ने सेविंग अकाउंट का मिनिमम बैलेंस नियम बदल दिया है। अगर आपका अकाउंट SBI, PNB, बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे पब्लिक सेक्टर बैंक में है, तो आपको न्यूनतम बैलेंस रखना होगा, वरना पेनाल्टी देनी पड़ सकती है।  


SBI: जीरो बैलेंस अकाउंट में कोई चार्ज नहीं, लेकिन नॉर्मल सेविंग अकाउंट में कुछ शाखाओं में ₹1000-3000 मिनिमम बैलेंस जरूरी हो सकता है।  

PNB: शहरी इलाकों में ₹2000, सेमी-अर्बन में ₹1000 और ग्रामीण इलाकों में ₹500 मिनिमम बैलेंस रखना होगा।  

प्राइवेट बैंक (HDFC, ICICI): इनमें मिनिमम बैलेंस ₹5000-₹10,000 तक हो सकता है।  


क्या करें?  

अपने बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट चेक करें या कस्टमर केयर से पूछें कि आपके अकाउंट में कितना मिनिमम बैलेंस रखना जरूरी है।  


क्रेडिट कार्ड पर लेट पेमेंट चार्ज बढ़ा


RBI के नए नियम के मुताबिक, अगर आप क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर नहीं भरते, तो बैंक अब ज्यादा पेनाल्टी लगा सकते हैं।  

पहले लेट पेमेंट पर ₹500-₹1000 तक का चार्ज लगता था, लेकिन अब यह बढ़कर ₹800-₹1500 हो सकता है।  

कुछ बैंक बिल की रकम का 2-3% तक पेनाल्टी भी लगा सकते हैं।  


क्या करें?

हमेशा क्रेडिट कार्ड बिल ड्यू डेट से पहले पे करें। अगर पेमेंट मिस हो जाए, तो बैंक को कॉल करके वेवर के लिए रिक्वेस्ट कर सकते हैं।  


पोस्ट ऑफिस RD और सुकन्या समृद्धि योजना में ब्याज दर बदली


1 अप्रैल से पोस्ट ऑफिस रिकरिंग डिपॉजिट (RD) और सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) की ब्याज दरें बदल गई हैं।  


पोस्ट ऑफिस RD: अब 6.7% ब्याज मिलेगा (पहले 6.5% था)।  

सुकन्या समृद्धि योजना: अब 8.2% ब्याज मिलेगा (पहले 8.0% था)।  


क्या करें?

अगर आप RD या SSY में पैसा लगा रहे हैं, तो नई ब्याज दर का फायदा उठाएं।  


इनकम टैक्स के नियम में बदलाव


अप्रैल से नए फाइनेंशियल ईयर (2024-25) की शुरुआत हो गई है, और इनकम टैक्स से जुड़े कुछ नए नियम लागू हुए हैं:  

नया टैक्स स्लैब लागू है, जिसमें ₹3 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं (सीनियर सिटिजन्स के लिए ₹5 लाख तक)।  

Standard Deduction अब ₹50,000 ही रहेगा।  

NPS (नेशनल पेंशन स्कीम) में टैक्स बेनिफिट ₹50,000 तक मिलेगा।  


क्या करें?

अपने सैलरी स्ट्रक्चर और इन्वेस्टमेंट को नए टैक्स स्लैब के हिसाब से प्लान करें।  


FASTag KYC अपडेट जरूरी


अगर आप FASTag का इस्तेमाल करते हैं, तो 31 मार्च तक अपना KYC अपडेट करवाना जरूरी था। अगर आपने अभी तक ऐसा नहीं किया है, तो आपका FASTag डीएक्टिवेट हो सकता है।  


केंद्र सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में किए बड़े बदलाव, यहां जानें पूरी डिटेल्स


नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के नियमों में कुछ अहम बदलाव किए हैं, जिससे लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को फायदा होगा। ये बदलाव पेंशन फंड में निवेश, विदड्रॉल नियमों और टैक्स बेनिफिट्स से जुड़े हैं। आइए जानते हैं क्या है नए नियम और कैसे यह आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।  


1. अनिवार्य विदड्रॉल की सीमा बढ़ी


सरकार ने NPS से एकमुश्त निकासी (लम्पसम विदड्रॉल) की अनिवार्य सीमा को 60% से बढ़ाकर 75% कर दिया है। यानी अब सब्सक्राइबर्स अपनी रिटायरमेंट फंड का 75% तक एक साथ निकाल सकते हैं, जबकि पहले यह सीमा 60% थी। शेष 25% फंड से एन्युइटी (मासिक पेंशन) खरीदना अनिवार्य होगा।  


2. एन्युइटी पर टैक्स छूट


NPS से मिलने वाली एन्युइटी (मासिक पेंशन) पर अब टैक्स छूट मिलेगी। पहले एन्युइटी से मिलने वाली राशि को इनकम टैक्स के तहत टैक्सेबल माना जाता था, लेकिन नए नियम के तहत 60 साल की उम्र के बाद मिलने वाली एन्युइटी पर टैक्स छूट का प्रावधान किया गया है।  


3. अर्ली एक्जिट के नियमों में ढील


अगर कोई सब्सक्राइबर 3 साल बाद NPS से पैसे निकालना चाहता है, तो अब उसे सिर्फ 80% फंड एन्युइटी में डालना होगा, जबकि पहले यह नियम 5 साल के लिए लागू था। इससे जल्दी फंड निकालने वालों को राहत मिलेगी।  


4. NPS टियर-2 अकाउंट पर टैक्स बेनिफिट


NPS के टियर-2 अकाउंट में निवेश पर अब टैक्स बचत का फायदा मिलेगा। सरकार ने इसे 80C के तहत टैक्स छूट की सूची में शामिल किया है, लेकिन यह सुविधा सिर्फ गवर्नमेंट एम्प्लॉई के लिए है।  


5. NPS में निवेश की अधिकतम सीमा बढ़ी


सरकारी कर्मचारियों के लिए NPS में वैकल्पिक निवेश (अपनी ओर से अतिरिक्त योगदान) की अधिकतम सीमा को बढ़ा दिया गया है। अब वे अपने बेसिक सैलरी और DA के 10% के बजाय 14% तक निवेश कर सकते हैं, जिससे रिटायरमेंट फंड तेजी से बढ़ेगा।  


नए नियम किसे फायदा पहुंचाएंगे?


प्राइवेट और सरकारी कर्मचार जो NPS में निवेश करते हैं।  

रिटायर होने वाले लोग जो एकमुश्त राशि निकालना चाहते हैं।  

युवा निवेशक जो लंबी अवधि के लिए पेंशन प्लान की तलाश में हैं।  


क्या करें?  

अगर आप NPS में निवेश करते हैं, तो इन नए नियमों के बारे में अपने पेंशन फंड मैनेजर (PFA) या वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें। साथ ही, अपने रिटायरमेंट प्लानिंग को नए नियमों के अनुसार अपडेट करें।  


NPS के नए नियम निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद हैं, खासकर रिटायरमेंट के बाद फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिहाज से। अगर आपने अभी तक NPS में निवेश नहीं किया है, तो यह सही समय है इसकी तरफ कदम बढ़ाने का।  


source: पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA), वित्त मंत्रालय।