वक्फ बिल क्या है? समझिए पूरी जानकारी What is Waqf Bill? Understand the complete details

 

What is Waqf Bill? Understand the complete details

वक्फ बिल क्या है? समझिए पूरी जानकारी


नई दिल्ली, 2 अप्रैल 2025: आज भारत की संसद में वक्फ (संशोधन) बिल 2024 को लेकर गहमागहमी का माहौल है। यह बिल लोकसभा में पेश किया गया है और इसे लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ी हुई है। आखिर यह वक्फ बिल है क्या, इसे क्यों लाया गया है, और इससे क्या बदलाव आने वाले हैं? आइए इसे समझते हैं।


वक्फ का मतलब क्या है?


वक्फ एक इस्लामिक परंपरा है, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को धार्मिक, शैक्षिक या सामाजिक कल्याण के लिए दान कर देता है। यह संपत्ति हमेशा के लिए वक्फ बोर्ड के अधीन आ जाती है, जो इसका प्रबंधन करता है। भारत में करीब 30 वक्फ बोर्ड हैं, जो अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में काम करते हैं। ये बोर्ड वक्फ अधिनियम 1995 के तहत चलते हैं। देश में लाखों संपत्तियां जैसे मस्जिदें, कब्रिस्तान, स्कूल और अस्पताल वक्फ के नाम पर रजिस्टर्ड हैं।


वक्फ बिल क्यों लाया गया?


केंद्र सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता की कमी और संपत्तियों के गलत इस्तेमाल की शिकायतें लंबे समय से आ रही थीं। सरकार का दावा है कि वक्फ (संशोधन) बिल 2024 इन समस्याओं को दूर करने के लिए लाया गया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे लोकसभा में पेश करते हुए कहा कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाएगा, डिजिटल सिस्टम लाएगा और महिलाओं व बच्चों के हितों की रक्षा करेगा। संसद में आज उन्होंने कहा कि अगर यह बिल पहले नहीं आता, तो शायद संसद की इमारत तक को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया जाता!


बिल में क्या-क्या बदलाव प्रस्तावित हैं?


1. पारदर्शिता और डिजिटाइजेशन: वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अब डिजिटल तरीके से होगा, ताकि गड़बड़ी न हो सके।

2. गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव है। सरकार का कहना है कि इससे समावेशिता बढ़ेगी, लेकिन विपक्ष इसे धार्मिक स्वायत्तता में दखल मानता है।

3. महिलाओं और बच्चों के अधिकार: बिल में यह सुनिश्चित करने की बात है कि वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले महिलाओं को उनका हक मिले। साथ ही, विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए फंड का इस्तेमाल होगा।

4. विवादों का समाधान: पहले वक्फ ट्रिब्यूनल संपत्ति के विवाद तय करते थे, लेकिन अब यह अधिकार जिला कलेक्टर जैसे सरकारी अधिकारियों को दिया जाएगा। सरकार का कहना है कि इससे निष्पक्षता आएगी।

5. सेक्शन 40 खत्म: पुराने कानून में सेक्शन 40 के तहत वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता था। इसे "सबसे खतरनाक" बताते हुए सरकार ने इसे हटाने का फैसला किया है।

6. 'वक्फ बाय यूजर' खत्म: पहले अगर कोई संपत्ति लंबे समय तक धार्मिक काम के लिए इस्तेमाल होती थी, तो उसे वक्फ मान लिया जाता था। अब यह नियम खत्म होगा।


विपक्ष का विरोध क्यों?


विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और AIMIM ने इस बिल का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि यह बिल संविधान के खिलाफ है और मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करता है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने इसे "संविधान पर हमला" बताया। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना ठीक वैसा ही है जैसे हिंदू मंदिरों में मुस्लिमों को नियुक्त करना। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर बिल वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि यह देश की एकता और संविधान की भावना के खिलाफ है।


सरकार का जवाब


गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि विपक्ष वोट बैंक की राजनीति के लिए मुस्लिम समुदाय में डर फैला रहा है। उन्होंने साफ किया कि यह बिल किसी के धार्मिक मामलों में दखल नहीं देगा और न ही यह पुराने फैसलों को बदलेगा। यह सिर्फ भविष्य के लिए नियम बनाएगा। शाह ने कहा, "कानून सबको मानना पड़ेगा।"


सहयोगी दलों का रुख


बीजेपी की सहयोगी पार्टियां जैसे टीडीपी, जेडीयू और शिवसेना ने बिल का समर्थन किया है। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने कहा कि यह मुस्लिम समुदाय के लिए अच्छा है। हालांकि, बीजेडी जैसे कुछ दल इसका विरोध कर रहे हैं।


आगे क्या?


लोकसभा में आज 8 घंटे की बहस के बाद इस बिल पर वोटिंग होगी। अगर यह पास हो जाता है, तो कल राज्यसभा में पेश किया जाएगा। एनडीए के पास लोकसभा में बहुमत है, इसलिए इसके पास होने की संभावना ज्यादा है। लेकिन विपक्ष का कहना है कि वह इसे राज्यसभा में रोकने की कोशिश करेगा।

वक्फ (संशोधन) बिल 2024 एक ऐसा मुद्दा बन गया है, जो राजनीति, धर्म और संविधान के सवालों को एक साथ उठा रहा है। सरकार इसे सुधार का कदम बता रही है, तो विपक्ष इसे अधिकारों पर हमला कह रहा है। आने वाले दिन बताएंगे कि यह बिल कानून बनेगा या नहीं, लेकिन फिलहाल यह देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है।